Hanuman Chalisa [Best Hanuman Chalisa in Hindi 2021]

Hanuman Chalisa भगवान हनुमान को शक्ति और हिंदू पौराणिक कथाओं का देवता माना जाता है और इसलिए हम यहां श्री Hanuman और Hanuman Chalisa को मुफ्त में प्रदान कर रहे हैं। हमने हिंदू हनुमान के लिए भगवान Hanuman Chalisa के कुछ बेहतरीन संग्रह को चुना है।

Hanuman Chalisa

उससे पहले आपके लिए हनुमान नाम के पत्र की व्याख्या इस प्रकार की जा सकती है:

Meaning Of Hanuman

Hanuman Chalisa

Hanuman Chalisa

।। दोहा ।।

श्रीगुरु चरन सरोज रज,
निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु,
जो दायकु फल चारि ।।
बुद्धिहीन तनु जानिके,
सुमिरौं पवन-कुमार ।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं,
हरहु कलेस बिकार ।।

।। चौपाई ।।

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ।। १ ।।
राम दूत अतुलित बल धामा ।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा ।। २ ।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी ।
कुमति निवार सुमति के संगी ।। ३ ।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा ।
कानन कुंडल कुंचति केसा ।। ४ ।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै ।
काँधे मूँज जनेऊ साजै ।। ५ ।।
संकर सुवन केसरीनंदन ।
तेज प्रताप महा जग बंदन ।। ६ ।।
बिद्यावान गुनी अति चातुर ।
राम काज करिबे को आतुर ।। ७ ।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।
राम लखन सीता मन बसिया ।। ८ ।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।
बिकट रूप धरि लंक जरावा ।। ९ ।।
भीम रूप धरि असुर सँहारे ।
रामचंद्र के काज सँवारे ।। १० ।।
लाय सजीवन लखन जियाये ।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ।। ११ ।।
रघुपति कीन्ही बहुत बडाई ।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ।। १२ ।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं ।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं ।। १३ ।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।
नारद सारद सहित अहीसा ।। १४ ।।
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ।। १५ ।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा ।
राम मिलाय राज पद दीन्हा ।। १६ ।।
तुम्हरो मन्त्र बिभीषन माना ।
लंकेस्वर भए सब जग जाना ।। १७ ।।
जुग सहस्र जोजन पर भानू ।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।। १८ ।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं ।। १९ ।।
दुर्गम काज जगत के जेते ।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।। २० ।।
राम दुआरे तुम रखवारे ।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।। २१ ।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना ।
तुम रच्छक काहू को डर ना ।। २२ ।।
आपन तेज सम्हारो आपै ।
तीनों लोक हाँक ते काँपै ।। २३ ।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै ।
महाबीर जब नाम सुनावै ।। २४ ।।
नासै रोग हरै सब पीरा ।
जपत निरंतर हनुमत बीरा ।। २५ ।।
संकट तें हनुमान छुडावै ।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ।। २६ ।।
सब पर राम तपस्वी राजा ।
तिन के काज सकल तुम साजा ।। २७ ।।
और मनोरथ जो कोइ लावै ।
सोइ अमित जीवन फल पावै ।। २८ ।।
चारों जुग परताप तुम्हारा ।
है परसिद्ध जगत उजियारा ।। २९ ।।
साधु संत के तुम रखवारे ।
असुर निकंदन राम दुलारे ।। ३० ।।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता ।
अस बर दीन जानकी माता ।। ३१ ।।
राम रसायन तुम्हरे पासा ।
सदा रहो रघुपति के दासा ।। ३२ ।।
तुम्हरे भजन राम को पावै ।
जनम जनम के दुख बिसरावै ।। ३३ ।।
अंत काल रघुबर पुर जाई ।
जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई ।। ३४ ।।
और देवता चित्त न धरई ।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ।। ३५ ।।
संकट कटै मिटै सब पीरा ।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ।। ३६ ।।
जै जै जै हनुमान गोसाई ।
कृपा करहु गुरु देव की नाई ।। ३७ ।।
जो सत बार पाठ कर कोई ।
छूटहि बंदि महा सुख होई ।। ३८ ।।
जो यह पढै हनुमानचालीसा ।
होय सिद्धि साखी गौरीसा ।। ३९ ।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा ।। ४० ।।

।। दोहा ।।

पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप । राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ।।

Hanuman Chalisa in English

Hanuman Chalisa

।। DOHA ।।

Shri guru charan saraj raj,
Nij manu mukur sudhare |
Barnau raghubar bimal jasu,
Jo dhayak phal chare ||
Budhihien tanu jaanke,
Sumerao pavan-kumar |
Bal budhi vidhya dehu mohe,
Harhu kales bikar ||

।। CHOPAI ।।

Jai hanuman gyan gun sagar |
Jai kapise tehu lok ujagar ||
Ram dut atulit bal dhama |
Anjani putra pavan sut nama ||
Mahabir bikram bajragee |
Kumati nivas sumati ke sangi ||
Kanchan baran biraj subesa |
Kann kundal kunchit kesa ||
Haat vajar ao dheja biraje |
Kandhe muj janeu sajee ||
Sankar suvan kesrinandan |
Tej pratap maha jag bandhan ||
Vidhyavan gune aati chatur |
Ram kaaj kaibe ko aatur ||
Prabhu charit sunibe ko rasiya |
Ram lakhan sita maan basiya ||
Susham roop dhari siyahi dhikhava |
Bikat roop dhari lank jarava ||
Bhim roop dhari asur sahare |
Ramchandra ke kaaj savare ||
Laye sanjeevan lakhan jiyaye |
Shriraghuvir harsha ure laye ||
Raghupati kinhe bahut badai |
Tum mam preye bharat sam bhai ||
Sahart badan tumarhu jas gavey |
Aas kahi shripati kant lagavey ||
Sankadeek bhramadhi munisa |
Narad sarad sahit ahisa ||
Jam kuber digpal jaha thi |
Kavi kovid kahi sake kaha thi ||
Tum upkar sughuv kehina |
Ram milaye raj pad denha ||
Tumraho mantra vibhekshan mana |
Lankeshvar bhaye sab jag jaan ||
Jug sahes jojan per bhanu |
Linyo tahi madhur phal janu ||
Prabhu mudrika meli mukh mahi |
Jaldhi ladhi gaye acraj nahi ||
Durgam kaaj jagat ke jete |
Sugam anugrah tumre tete ||
Ram duaare tum rakhvare |
Hoot na aagya binu pasare ||
Sab sukh lahai tumhre sarna |
Tum rchak kahu ko daarna ||
Aapan tej samharo aape |
Teno lok hakte kape ||
Bhut pesach nikat nahi aaveh |
Mahavir jab naam sunaveh ||
Nase rog hare sab peera |
Japat nirantar hanumat bal bira ||
Sankat se hanuman chudave |
Maan kam bachan dayan jo lavey ||
Sab per ram tapasvi raja |
Tin ke kaaj sakal tum saja ||
Aur manorat jo kayi lave |
Tasuye amit jeevan phal pavey ||
Charo guj pratap tumarah |
Hai prasidh jagat ujeyara ||
Sadhu sant ke tum rakhvare |
Asur nikandan ram dulare ||
Ashat sidhi navnidhi ke data |
As var deen jaanki mata ||
Ram rasayan tumhre pasa |
Sada raho raghupati ke dasa ||
Tumreh bhajan ram ko bhavey |
Janam janam ke dukh bisravey ||
Ant kaal raghubar pur jaie |
Jaha janam hari bhagat kahaei ||
Aur devta chitna dhareyo |
Hanumat seye sarav sukh karaei ||
Sankat kate mite sab pera |
Jo sumere hanumat balbira ||
Jai jai jai hanuman gusai |
Kripa karo guru dev ke naai ||
Jo sat bar pat kar koi |
Chutehi bandhi maha sukh hoai ||
Jo yahe pade hanuman chalisa |
Hoye sidhi sa ke goresa ||
Tulsidas sada hari chera |
Kijeye nath hridaye maha dera ||

।। DOHA ।।

Pavantnaye sankat haran,
Mangal murti roop |
Ram lakhan sita sahet,
Hridaye basau sur bhup ||

Hanuman Chalisa telugu

Hanuman Chalisa

।। பூர்வாங்க ஸ் ல ாகங் கள் ।।

ஶ்ரீ குரு சரணஸரரோஜ ரஜ நிஜமனு முகுரு ஸுதோரி |
வரணணௌம் ரகுவர விமல ஜஸு ரஜோ தோயக பலசோரி ||
புத்திஹீன தனுஜோனிரக ஸுமிணரௌ பவன-குமோர |
பல புத்தி வித்யோ ரதஹு ரமோஹிம்ஹரஹு கரலஸ் பிகோர்||

। நாற்பது ஸ் ல ாகங் கள் [ச ௌபாஈ (1 - 40)] ।

ஜயஹனுமோன் ஞோன குணஸோகர்|
ஜய கபீஷ திஹு ரலோக உஜோகர்||
ரோமதூத அதுலித பலதோமோ |
அஞ்ஜனி புத்ர பவனஸுத நோமோ ||
மஹோவீர விக்ரம பஜரங்கீ |
குமதி நிவோர ஸுமதி ரக ஸங்கீ ||
கம்சன வரணவிரோஜ ஸுரவஸோ |
கோனன குன்டல கும்சித ரகஶோ ||
ஹோத வஜ்ரஔத்வஜோ பிரோஜஜ |
கோம்ரத மூம்ஜ ஜரனவூ ஸோஜஜ ||
சங்கர ஸுவன ரகஸரீநந்தன் |
ரதஜ ப்ரதோப மஹோஜக பந்தன் ||
வித்யோவோன குணீஅதி சோதுர்|
ரோம கோஜ கரிரப ரகோ ஆதுர்||
ப்ரபு சரித்ர ஸுனிரப ரகோ ரஸியோ |
ரோமலகன் ஸீதோ மன பஸியோ ||
ஸூக்ஷ் ம ரூப தரிஸியஹிதிகோவோ |
விகட ரூப தரி லங்க ஜரோவோ ||
பீம ரூப தரி அஸுர ஸம்ஹோரர |
ரோமசந்த்ர ரக கோஜ ஸம்வோரர ||
லோய ஸஜீவன் லகன ஜியோரய |
ஶ்ரீ ரகுவீரஹர்ஷிஉர்லோரய ||
ரகுபதி கீன்ஹீபஹுத்படோயீ |
தும மம ப்ரிய பரதஹிஸம போயீ ||
ஸஹஸ் பதன் தும்ஹரரோ ஜஸ் கோஜவ |
அஸ கஹிஶ்ரீபதி கன்த லகோஜவ ||
ஸனகோதிக்ப்ரஹ் மோதி முனீஸோ |
நோரத ஸோரத ஸஹித அஹீஸோ ||
ஜம குரபர திகபோல ஜஹோம் ரத |
கபி ரகோபித கஹிஸரக கஹோந்ரத ||
தும் உபகோர ஸுக்ரீவஹிகீன்ஹோ |
ரோம மிலோய் ரோஜபத தீன்ஹோ ||
தும்ஹரரோ மந்த்ர விபீஷணமோனோ |
லங்ரகஸ் வர்பரய ஸப்ஜக்ஜோனோ ||
யுக ஸஹஸ் ர ரஜோஜன் பர்போனூ|
லீல்ரயோ தோஹிமதுர பல ஜோனூ||
ப்ரபு முத்ரிகோ ரமலி முக மோஹீன் |
ஜலதி லோம்கி கரய அசரஜ நோஹீன் ||
துர்கம கோஜ ஜகத்ரக ரஜரத |
ஸுகம அனுக்ரஹதும்ஹரர ரதரத ||
ரோம துஆரர தும் ரக்வோரர |
ரஹோத ந ஆக்ஞோ பினு ஜபஸோரர ||
ஸப ஸுக லஜஹதும்ஹோரீஸரனோ |
தும் ரக்ஷக கோஹூ ரகோ டர்னோ ||
ஆபன ரதஜ ஸம்ஹோரரோ ஆஜப |
தீரனோன் ரலோகஹோங்க ரத கோம்ஜப ||
பூத பிஸோச நிகட்நஹிஆஜவ |
மஹோவீர ஜப நோம ஸுனோஜவ ||
நோஜஸ ரரோகஹஜர ஸப்பீரோ |
ஜபத நிரந்தர்ஹனுமத்பீரோ ||
ஸங்கட்ரதம்ஹனுமோன் சுடோஜவ |
மன க்ரம் வசன் த்யோன் ரஜோ லோஜவ ||
ஸப்பர்ரோம தபஸ் வீ ரோஜோ |
தின் ரக கோஜ ஸகல் தும்ஸோஜோ ||
ஔர்மரனோரத்ரஜோ ரகோயி லோஜவ |
ரஸோயி அமித்ஜீவன் பல் போஜவ ||
சோரரோன் ஜுக்பர்தோப்தும்ஹோரோ |
ஜஹபரஸித்த ஜகத்உஜியோரோ ||
ஸோது-ஸந்த்ரக தும் ரகவோரர |
அஸுர்நிகந்தன் ரோம துலோரர ||
அஷ் டஸித்தி நவ நிதி ரக தோதோ |
அஸ பர்தீன் ஜோனகீ மோதோ ||
ரோம் ரஸோயன் தும்ஹோரர போஸோ |
ஸதோ ரரஹோ ரகுபதி ரக தோஸோ ||
தும்ஹரர பஜன் ரோம் ரகோ போஜவ |
ஜனம்- ஜனம் ரக துக்பிஸ் ரோஜவ ||
அந்தகோல ரகுபர்புர்ஜோயீ |
ஜஹோம் ஜன் மஹரி-பக்த்கஹோயீ ||
ஔர்ரதவ்தோ சிந்த ந தரயீ |
ஹனுமத்ரஸயி ஸர்வ ஸுக கரயீ ||
ஸங்கட கஜட மிஜட ஸப்பீரோ |
ரஜோ ஸுமிஜரஹனுமத்பல பீரோ ||
ணஜய் ணஜய் ணஜய்ஹனுமோன் ரகோஸோயீ |
க்ருபோ கரரோ குருரதவ கீ நோயீ ||
ரஜோ ஸுத்போர்போத்கர்ரகோயீ |
சூடஹிபன் தி மஹோ ஸுக்ரஹோயீ ||
ரஜோ யஹபரடன் ஹனுமோன் சோலீஸோ |
ரஹோயஸித்தி ஸோகீ ணகௌரீஸோ ||
துல்ஸீதோஸ் ஸதோஹரி ரசரோ |
கீஜஜ நோதஹ் ருதய மஹரடரோ ||

।। ல ாஹா ।।

பவன தன்ய ஸங்கடஹரன
மங்கள் மூர்த்தி ரூப் |
ரோம லகன ஸீதோ ஸஹித
ஹ் ருதய பஸஹு ஸுர பூப் ||
ஸியோவர ரோமசந்த்ரகீ ஜய |
பவனஸுதஹனுமோன் கீ ஜய |
ரபோரலோ போயீ ஸப ஸந்தனகீ ஜய |

।। Sankat Mochan Hanuman Ashtak [संकटमोचन हनुमानाष्टक] ।।

Sankat Mochan Hanuman Ashtak

।। Sankat Mochan Hanuman Ashtak ।।

बाल समय रवि भक्षी लियो तब,
तीनहुं लोक भयो अंधियारों I
ताहि सों त्रास भयो जग को,
यह संकट काहु सों जात न टारो I
देवन आनि करी बिनती तब,
छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो I
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो I
बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि,
जात महाप्रभु पंथ निहारो I
चौंकि महामुनि साप दियो तब,
चाहिए कौन बिचार बिचारो I
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु,
सो तुम दास के सोक निवारो I को
अंगद के संग लेन गए सिय,
खोज कपीस यह बैन उचारो I
जीवत ना बचिहौ हम सो जु ,
बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो I
हेरी थके तट सिन्धु सबे तब ,
लाए सिया-सुधि प्राण उबारो I को
रावण त्रास दई सिय को सब ,
राक्षसी सों कही सोक निवारो I
ताहि समय हनुमान महाप्रभु ,
जाए महा रजनीचर मरो I
चाहत सीय असोक सों आगि सु,
दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो I को
बान लाग्यो उर लछिमन के तब,
प्राण तजे सूत रावन मारो I
लै गृह बैद्य सुषेन समेत,
तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो I
आनि सजीवन हाथ दिए तब,
लछिमन के तुम प्रान उबारो I को
रावन जुध अजान कियो तब,
नाग कि फाँस सबै सिर डारो I
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल ,
मोह भयो यह संकट भारो I
आनि खगेस तबै हनुमान जु ,
बंधन काटि सुत्रास निवारो I को
बंधू समेत जबै अहिरावन,
लै रघुनाथ पताल सिधारो I
देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि ,
देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो I
जाये सहाए भयो तब ही ,
अहिरावन सैन्य समेत संहारो I को
काज किये बड़ देवन के तुम ,
बीर महाप्रभु देखि बिचारो I
कौन सो संकट मोर गरीब को ,
जो तुमसे नहिं जात है टारो I
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु ,
जो कछु संकट होए हमारो I

।। दोहा ।।

लाल देह लाली लसे ,
अरु धरि लाल लंगूर I
वज्र देह दानव दलन ,
जय जय जय कपि सूर II

।। रामावतार स्तोत्र (Ram Stuti)।।

Ram Stuti

।। रामावतार स्तोत्र हिंदी ।।

भये प्रगट कृपाला, दीनदयाला कौसल्या हितकारी हरषित महतारी, मुनि मनहारी अद्भुत रूप बिचारी लोचन अभिरामा, तनु घनस्यामा, निज आयुध भुज चारी भूषन वनमाला, नयन बिसाला, सोभासिंधु खरारी कह दुइ कर जोरी, अस्तुति तोरी, केहित बिधि करूं अनंता माया गुन ग्यानातीत अमाना, वेद पुरान भनंता करुना सुख सागर, सब गुन आगर, जेहि गावहिं श्रुति संता सो मम हित लागी, जन अनुरागी, भयौ प्रकट श्रीकंता ब्रह्मांड ‍निकाया, निर्मित माया, रोम रोम प्रति बेद कहे मम उद सो बासी, यह उपहासी, सुनत धीर मति थिर न रहे उपजा जब ग्याना, प्रभु मुसुकाना, चरित बहुत बिधि कीन्ह चहे कहि कथा सुहाई, मातु बुझाई, जेहि प्रकार सुत प्रेम लहे माता पुनि बोली, सो मति डोली, तजहु तात यह रूपा कीजे सिसुलीला, अति प्रियसीला, यह सुख पराम अनूपा सुन बचन सुजाना, रोदन ठाना, होई बालक सुरभूपा यह चरित जे गावहि, हरिपद पावहि, तेहि न परहिं भवकूपा।।
॥इति श्रीरामावतार स्तोत्र संपूर्णम्‌॥

।। Bajrang Baan [बजरंग बाण] ।।

Bajrang Baan

।। दोहा ।।

निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥

।। Bajrang Baan (चौपाई)।।

जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
जन के काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥
जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका॥
जाय बिभीषन को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा॥
बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा॥
अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा॥
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर नभ भई॥
अब बिलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामी॥
जय जय लखन प्रान के दाता। आतुर ह्वै दुख करहु निपाता॥
जै हनुमान जयति बल-सागर। सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहि मारु बज्र की कीले॥
ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा॥
जय अंजनि कुमार बलवंता। शंकरसुवन बीर हनुमंता॥
बदन कराल काल-कुल-घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक॥
भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर। अगिन बेताल काल मारी मर॥
इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की॥
सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै। राम दूत धरु मारु धाइ कै॥
जय जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधा॥
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥
बन उपबन मग गिरि गृह माहीं। तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं॥
जनकसुता हरि दास कहावौ। ताकी सपथ बिलंब न लावौ॥
जै जै जै धुनि होत अकासा। सुमिरत होय दुसह दुख नासा॥
चरन पकरि, कर जोरि मनावौं। यहि औसर अब केहि गोहरावौं॥
उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई। पायँ परौं, कर जोरि मनाई॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता॥
ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल॥
अपने जन को तुरत उबारौ। सुमिरत होय आनंद हमारौ॥
यह बजरंग-बाण जेहि मारै। ताहि कहौ फिरि कवन उबारै॥
पाठ करै बजरंग-बाण की। हनुमत रक्षा करै प्रान की॥
यह बजरंग बाण जो जापैं। तासों भूत-प्रेत सब कापैं॥
धूप देय जो जपै हमेसा। ताके तन नहिं रहै कलेसा॥

।। दोहा ।।

उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान।
बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान॥

।। Shri Hanumat Stavan [श्री हनुमत् स्तवन] ।।

Shri Hanumat Stavan

।। Shri Hanumat Stavan [श्री हनुमत् स्तवन] ।।

प्रनवऊं पवन कुमार खल बन पावक ग्यान घन।
जासु ह्रदय आगार बसहिं राम सर चाप धर।।
अतुलित बलधामं हेमशैलाभदेहं, दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामअग्रगण्यम्।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं, रघुपतिप्रियं भक्तं वातंजातं नमामि।
गोष्पदीकृत वारिशं मशकीकृत राक्षसम्। रामायण महामालारत्नं वन्दे नीलात्मजं।
अंजनानंदनंवीरं जानकीशोकनाशनं। कपीशमक्षहन्तारं वन्दे लंकाभयंकरम्।
उलंघ्यसिन्धों: सलिलं सलिलं य: शोकवह्नींजनकात्मजाया:।
तादाय तैनेव ददाहलंका नमामि तं प्राञ्जलिंराञ्नेयम।
मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये।
आञ्जनेयमतिपाटलाननं काञ्चनाद्रिकमनीय विग्रहम्।
पारिजाततरूमूल वासिनं भावयामि पवमाननंदनम्।
यत्र यत्र रघुनाथकीर्तनं तत्र तत्र कृत मस्तकाञ्जिंलम।
वाष्पवारिपरिपूर्णलोचनं मारुतिं राक्षसान्तकाम्।

।। Shri Hanumat Stavan [श्री हनुमत् स्तवन हिंदी अर्थ]।।

मैं उन पवन पुत्र श्री हनुमान जी को प्रणाम करता हूं, जो दुष्ट रूपी वन में अर्थात राक्षस रूपी वन में अग्नि के समान ज्ञान से परिपूर्ण हैं। जिनके हृदय रूपी घर में धनुषधारी श्री राम निवास करते हैं। अतुलीय बल के निवास, हेमकूट पर्वत के समान शरीर वाले राक्षस रूपी वन के लिए अग्नि के समान, ज्ञानियों के अग्रणी रहने वाले, समस्त गुणों के भंडार, वानरों के स्वामी, श्री राम के प्रिय भक्त वायुपुत्र श्री हनुमान जी को नमस्कार करता हूं। समुद्र को गाय के खुर के समान संक्षिप्त बना देने वाले, राक्षसों को मच्छर जैसा बनाने वाले, रामायण रूपी महती माला का रत्न वायुनंदन हनुमान जी को मैं प्रणाम करता हूं। माता अंजनी को प्रसन्न रखने वाले , माता सीता जी के शोक को नष्ट करने वाले, अक्ष को मारने वाले, लंका के लिए भंयकर रूप वाले वानरों के स्वामी को मैं प्रणाम करता हूं। जिन्होंने समुद्र के जल को लीला पूर्वक( खेल-खेल में) लांघ कर माता सीता जी की शोकरूपी अग्नि को लेकर उस अग्नि से ही लंका दहन कर दिया, उन अंजनी पुत्र को मैं हाथ जोड़ कर नमस्कार करता हूं। मन के समान गति वाले, वायु के समान वेग वाले, इंद्रियों के जीतने वाले, बुद्धिमानों में श्रेष्ठ, वायुपुत्र, वानरों के समूह के प्रमुख, श्री राम के दूत की शरण प्राप्त करता हूं। अंजना के पुत्र, गुलाब के समान मुख वाले, हेमकुट पर्वत समान सुंदर शरीर वाले, कल्पवृक्ष की जड़ पर रहने वाले, पवन पुत्र श्री हनुमान जी को मैं याद करता हूं। जहां- जहां श्री रामचंद्र जी का कीर्तन होता है वहां-वहां मस्तक पर अंजलि बांधे हुए आनंदाश्रु से पूरित नेत्रों वाले, राक्षसों के काल वायुपुत्र (श्री हनुमान जी) को नमस्कार करें।

।। Shri Hanumat Stavan in English ।।

I bow to Shri Hanuman ji, the son of the wind, who is full of knowledge similar to fire in a forest of evil form, that is, a forest of demons. Whose heart resides in the house of a bowman, Shri Ram. I hail Shri Hanuman ji, the beloved devotee of Shri Rama, the lord of the apes, the lord of the apes, the lord of the apes, the fiery one, as the fire for the demon-like forest with the same body as Hemkut Parbat, the abode of the unyielding force. I salute Vayunandan Hanuman ji, who makes the sea as a cow's hoof, making the demons as mosquitoes, the jewel of the mahaati garland in the form of the Ramayana. I salute the lord of the apes who have a formidable form for Lanka, who please Mata Anjani, who destroys the mourning of Mata Sita ji, who kills the axes. I congratulate the Anjani son by folding his hands with the fire of Mata Sita ji, by skipping the waters of the sea (in sports and games), with the fiery fire of Mother Sita ji. With the same speed of mind, with the same velocity as air, the conqueror of the senses, the superior of the wise, the Vayuputra, the chief of the group of apes, seek refuge of Shri Rama's messenger. I remember the wind son Shri Hanuman ji, son of Anjana, face like rose, beautiful body like Hemkut mountain, living at the root of Kalpavriksha. Wherever there is the Kirtan of Shri Ramchandra ji, where there is an Anjali tied on the forehead, greet the Kaal Vayaputra (Shree Hanuman ji) with eyes full of Anandashru.

।। Shri Ram Stuti [श्री राम स्तुति] ।।

Shri Ram Stuti

।। Shri Ram Stuti [श्री राम स्तुति] ।।

श्री राम चंद्र कृपालु भजमन, हरण भाव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।
कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।
भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।

।। Shri Ram Stuti Chand (श्री राम स्तुति छंद)।।

मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।
एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।

।। सोरठा ।।

जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।

।। Hanuman Ji ki Aarti [हनुमानजी की आरती] ।।

Hanuman ji ki aarti

।। Hanuman Ji ki Aarti [हनुमानजी की आरती] ।।

आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपे।
रोग दोष जाके निकट न झांके
।। अंजनि पुत्र महाबलदायी।
सन्तन के प्रभु सदा सहाई।।
दे बीरा रघुनाथ पठाए।
लंका जारि सिया सुध लाए।।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई।
जात पवनसुत बार न लाई ।।
लंका जारि असुर संहारे।
सियारामजी के काज संवारे ।।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।
आणि संजीवन प्राण उबारे ।।
पैठी पताल तोरि जमकारे।
अहिरावण की भुजा उखारे ।।
बाएं भुजा असुर दल मारे।
दाहिने भुजा संतजन तारे ।।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे।
जै जै जै हनुमान उचारे ।।
कंचन थार कपूर लौ छाई।
आरती करत अंजना माई ।।
जो हनुमानजी की आरती गावै।
बसि बैकुंठ परमपद पावै ।।
लंकविध्वंस किए रघुराई।
तुलसीदास प्रभु कीरति गाई ।।
आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ।।

Wonderful Line of Chalisa

आपका दिल बहुत निर्मल है अगर आपको हमारी पोस्ट अच्छी लगी हो तो आप जरूर Comment करके या हमारी पोस्ट को अन्य लोगो तक Share करके हमें बता सकते है

अब आप बताये की आपके लिए यह Hanuman Chalisa का Collection किस हद तक काम आया। आप हमे अपना सब Favourite Chalisa, Bhajan, Aarti, Mantra, tayohar को हमे Comment करके बता सकते है तथा आप हमारी दूसरी Website Shivjikiaarti.in Visit करना न भूलियेगा धन्यवाद

में आपके लिए ऐसी ही नयी नयी पोस्ट रोज लाता रहता हूँ आप Hanuman-Chalisa-2.blogspot.com जाकर हमारी साइट की अन्य पोस्ट भी पड सकते है यह अन्य पोस्ट आपके जीवन की कही सारी कठिनाइयों को दूर करेंगी तथा आपके हर्दय को और भी पवित्र बनाएगी

Team:- Hanuman-Chalisa-2.blogspot.com

हाल की पोस्ट

सभी देखें
Hanuman ji pictures